जिन्दा थे तो किसी ने भी पास बिठाया नही
अब खुद मेरे चारों और बैठे जा रहे है।
पहले किसी ने भी मेरा हाल भी ना पूछा अब सभी आँशु बहाये जा रहे है।
एक रुमाल भी भेट न किया जब हम जिन्दा थे
अब साले और कपड़े ऊपर से ओढाए जा रहे है।
सब जानते है अब इसके कौई काम के नही मगर फिर भी बेचारे दूनियादारी निभाए जा रहे है।
कभी किसी को एक वक्त का खाना नही खिलाया अब देशी धी मेरे मुँह मे डाले जा रहे है।
जिन्दगी मे एक कदम भी साथ ना चल सका कौई अब फूलों से सजा कर कन्धे पे उठाए जा रहे है।
आज पता चला कि मौत जिन्दगी से कितनी हसीन है हम तो बेवजह ही जिन्दगी की चाहत किये जा रहे थे।
आपका दोस्त - प्रभाकर राज "सोनी"
मधेपुरा-बिहार - 852113
मोबाइल नंबर - 9931140333
ईमेल आईडी - raazmobile14@gmail.com
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